सफर में हमसफ़र बन जाते हैं , बारिस में छतरी के भाँति काम आते है ! मुश्किल भरी सफर होती है हमारी, साहब हम रेल चलाते है ....... दो परिवारों को साथ लाते हैं, पर्वत को झीलों से मिलाते हैं! भूले- भटके को घर पहुंचाते है , साहब हम रेल चलाते हैं...... दो धर्मो के मानाने वाले , दूसरे की भाषा न जानने वाले ! सभी को हम साथ ले जाते हैं, साहब हम रेल चलाते हैं..... एक अकेले बेटे को,दिल में आंशु लपेटे को! माँ की ममता मिट न जाये , आँचल में उनके गुल खिलाते है ! साहब हम रेल चलाते हैं..... दो प्रेमी दीवाने को , चढ़े प्यार परवाने को ! बिच खड़े दिवार को चंद घंटो में मिटाते हैं! साहब हम रेल चलाते हैं..... :- संतोष 'साग़र' #gif सफर में हमसफ़र बन जाते हैं , बारिस में छतरी के भाँति काम आते है ! मुश्किल भरी सफर होती है हमारी, साहब हम रेल चलाते है ....... दो परिवारों को साथ लाते हैं, पर्वत को झीलों से मिलाते हैं! भूले- भटके को घर पहुंचाते है , साहब हम रेल चलाते हैं......