बारिश जमीन जल चुका है अभी तो आसमान बाकी हैं सुंखे कुएं तेरा इम्तहान बाकी हैं वक्त पर बरस जाना हे मेंघा किसी का जमीन गिरवी है तो किसी का लगान बाकी हैं न फैलाना इतना कहर कि रुठ जाए कोई तेरे कारण ही फांसी पर झूल न जाए कोई बस यही अर्ज सुन ले हे मेघा किसी का जमीन गिरवी हैं तो किसी का तेरे उपर आस बाकी हैं