पूर्वराग भजते रहे, संतूर तारों को खींच , पराग पुंगव बोते रहे, निष्ठुर पत्थरों को सींच । वो दाग से बचते नहीं,दागदारों के बीच, विराग विरक्त बसते रहे,कंदराकर किनारों के बीच । ©RAVINANDAN Tiwari #वैराग्य_कच्ची_सड़क