आज श्रीमती ने कहा जी सुनते हो रचना दुखभरी ही क्यों लिखते हो जिंजोड़े अंतर मन,करे कुछ चिंतन,हम चश्मा सरकाए आसपास देखे,असंख्य दर्द और चिंखे,तो हम बत्याए वही लिखता हूं..जो दिखता है पर जो दिखता है..वो कहा बिकता है सुख यहां हितपथ्य् है दुख संसार का सत्य है यही पारदर्शी तथ्य है बाकी सकल मिथ्य है यही गीता का कथ्य है! सच बताना मेरा कृत्य है जैसे जवाब सुने,श्रीमती चिडचिडाए सच सुनना वैसे जग को भी ना भाए! #सुख#दुख