आग कल शाम में वो आग ताप रही थी, हमारे साथ। पास थी, फिर भी न जाने क्यों ,दूर लग रही थी।। जब आग के उजाले में, उसका चेहरा देखा, कसम से वो जन्नत की नूर लग रही थी।। ©sayrana mizaz #आग