मुझे ही चाहा था तुमने, मुझे ही भरम हुआ था ! तुम्हारे जाने के बाद, मुझे ही गम हुआ था ! मुझे ही पागल समझा गया, तुमने भी तो कहा था ! ये दुनिया तमाशाई है फकत, तमाशा चल रहा था ! मुझे ही कमजर्फ आँका गया, बार बार मुझमें झाँका गया ! रोता मैं आँसू पोंछने भर को, न जाने कहाँ वो साँफा गया ! मुझे असलियत ने ठुकरा दिया, ख्वाबों ने टुकड़ा तोड़ डाला है ! मुझे था फक्र उसके होने का, उसने मुझे ही रोंध डाला है ! मुझे ही एहसास हो रहा है ! मेरा ही दम घुट रहा है ! मेरी साँसों का इत्र था वो, मेरे सामने बँट रहा है !! मुझे अब भी यकीन है, अँधेरा छँट रहा है ! मुझे लगता है अक्सर, वो पलट रहा hai ! #hindipoetry #kavitha ©Abhidev - Arvind Semwal मुझे ही चाहा था तुमने, मुझे ही भरम हुआ था ! तुम्हारे जाने के बाद, मुझे ही गम हुआ था ! मुझे ही पागल समझा गया, तुमने भी तो कहा था ! ये दुनिया तमाशाई है फकत,