गर वफ़ा है,तो जिंदगी से गिला क्यूँ है गर सजा है,तो इसमें तेरी रजा क्यूँ है तू हिम्मती,फिर दूसरो की क्या ज़रूरत तुझमें खुदा है,फिर खुदा से खफा क्यूँ है Nish_pandit Himmati.....