चाह ये की मैं बिखर जाऊं। अक्षर-अक्षर मैं खुद का भूलूं, दुनिया की बिगड़ी भाषा मैं भूल जाऊं। तेरे वर्णों को ही फिर समझूं, उसीके मैं गीत गुनगुनाऊं। तेरे व्याकरण में ही मैं रमूं, तेरे अलंकारों से मैं खुद को सजाऊं। एक अनुभूति, एक भाषा, एक वाणी। #HindiDiwas2020 #quotesoftheday #shayarioftheday #poem #nojotohindishayari #nojotohindi #nojotohindipoetry #NojotoHaldwani #BoloDilSe