जख्मी चोटों का दर्द कहाँ कोइ सुनता है जिंदगी का गम अब इन पन्नों पर लिखा जाता है इन्तजार का एहसास इक दर्द जगाता है खामोशी से गम पीते पीते बस यादोंके पन्नों में लिखते लिखते यह दर्द शब्दों में उभर आता है । अंशु चककू