सबसे पहले मैं माफ़ी मांगता हूँ हज़रत हौव्वा से। मैंने ही अफ़वाह उड़ाई थी कि उस ने आदम को बहकाया था और उसके मासिक धर्म की पीड़ा उसके गुनाहों की सज़ा है जो रहेगी सृष्टि के अंत तक। मैंने ही बोये थे बलात्कार के सबसे प्राचीनतम बीज। मैं माफ़ी माँगता हूँ उन तमाम औरतों से जिन्हें मैंने पाप योनी में जन्मा हुआ घोषित करके अज्ञान की कोठरी में धकेल दिया और धरती पर कब्ज़ा कर लिया और राजा बन बैठा। और वज़ीर बन बैठा। और द्वारपाल बन बैठा। मेरी ही शिक्षा थी यह बताने की कि औरतें रहस्य होती हैं । ताकि कोई उन्हें समझने की कभी कोशिश भी न करे। कभी कोशिश करे भी तो डरे, उनमें उसे चुड़ैल दिखे । शीतकालीन अवकाश की हार्दिकि शुभकामनें 25 /31 दिसंबर तक (साल के अंतिम दिनों ) का भरपूर लाभ उठाएं आओ आज आपके साथ साझा करता हूँ फ़रीद खान की कविता 😊 सुप्रभात मित्रो....😊😊😊 कवि के बारे में ज्यादा जानकारी तो नही बस 13 अप्रेल 2018 को बीबीसी रेडियो की भारतीय भाषा विशेषज्ञ #Roopa Jha और संपादक #Rajesh joshi की आवाज़ में सुना था । : मैं माफ़ी मांगता हूँ उन तमाम राह चलते उठा ली गईं औरतें से जो उठा कर ठूंस दी गईं हरम में। मैं माफ़ी मांगता हूँ उन औरतों से जिन्हें मैंने मजबूर किया सती होने के लिए।