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इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका ना रू

इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका
ना रूठा किसी से ना किसी को मना सका
लौ जलती रही इस दिल में भी चाहत की
कभी दिखा ना सका और कभी बुझा ना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका।

राहों की उलझनों को कभी सुलझा ना सका
सफ़र में कदम से कदम कभी मिला ना सका
लड़खड़ा गयी जिंदगी ख्वाहिश़ों की मुफ़लिसी में
ना अपनाया मुझे किसी ने, ना अपना किसी को बना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका।

रह गया सिमटकर कभी खुद को समझा ना सका
बंधे जो हाथ शर्त में मेरे कभी दिखा ना सका
मंजिल पर पहुंचकर चुभा जो पैर में कांटा मेरे
दर्द पहुंचा जो जहन में मेरे, कभी बता ना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका। इश्क की गली.. Ranjeet Reshma Jabeen Jasmine Nain Ritu Sapna Shahi
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका
ना रूठा किसी से ना किसी को मना सका
लौ जलती रही इस दिल में भी चाहत की
कभी दिखा ना सका और कभी बुझा ना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका।

राहों की उलझनों को कभी सुलझा ना सका
सफ़र में कदम से कदम कभी मिला ना सका
लड़खड़ा गयी जिंदगी ख्वाहिश़ों की मुफ़लिसी में
ना अपनाया मुझे किसी ने, ना अपना किसी को बना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका।

रह गया सिमटकर कभी खुद को समझा ना सका
बंधे जो हाथ शर्त में मेरे कभी दिखा ना सका
मंजिल पर पहुंचकर चुभा जो पैर में कांटा मेरे
दर्द पहुंचा जो जहन में मेरे, कभी बता ना सका
इश्क की गली में दीपक...फिर कभी मैं जा ना सका। इश्क की गली.. Ranjeet Reshma Jabeen Jasmine Nain Ritu Sapna Shahi