संग गुज़री यादों को
संग गुज़री यादों को अब भुलाया नहीं जाता !
दिल में जगे जज़्बातों को अब सुलाया नहीं जाता !!
झेल लिए ढेरो सितम उनके हर घड़ी,हर डगर,
मगर मासूम-सी उनकी सूरत देख बेवफ़ा उन्हें बुलाया नहीं जाता !!
जी करता कि ग़मों से भर दें झोली उनकी हम,
जबकि जो सच कहें तो पलभर भी उन्हें अब रुलाया नहीं जाता !!