"तेरी बातों ने मुझे गुमसुम सा कर दिया" "फिर भी" ये खामोशिया कुछ कहना चाहती है, लबों को अपने ये खोलना चाहती है।। दुनिया के दीवारों को तोड़ना चाहती है, ये खामोशिया अपनी खामोशी खोलकर अपने मंजिल को पाना चाहती है।। "और " अपनी इस गुमसुमी से आज़ाद होना चाहती है।। तोड़ दो उस खामोशी को जो, तुम्हें पिंजरे में बंद रखना चाहती है।। TandulaRajAnand #तोड़ दो उस खामोशी को जो तुम्हे पिंजरे में बंद रखना चाहती है