पल्लव की डायरी कसूरवार आज हम, फिर ठहराये जा रहे है कानूनी दाँव पेच आजमाये जा रहे है दे चुके कितनी कुर्बानियाँ आजादी के लिये गुलामी के फिर, जॉल बिछाये जा रहे है हक जीने का हमारा था,सवाल हमे करना था मगर वो हमें आधारहीन कर व्यवस्तायो के भंवर में फँसाये जा रहे है रोजी रोटी की विकट समस्या लेकिन वो हमें वेक्सीन के पाठ पढ़ाये जा रहे है आजादी के सबक ये ही थे तो भगत सुभाष को कियो हमने गवाये थे लोकतंत्र में भी छाती पर मूंग दले जनता को शोषण का हथियार बनाये रे शोर गुल मचे संसदों में ऐसे नमूनो को चुनने के लिये शहीदों ने प्राण गवाये थे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #jail ऐसे नमूनों को चुनने के लिये शहीदों ने प्राण गवाये थे #jail