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मानवता फिर शर्मसार हुई है. (check caption) वारदात

मानवता फिर शर्मसार हुई है.
(check caption)  वारदात कुछ यूँ रूह को झकझोर गयी,
शैतान के भी ग़ुरूर को तोड़ गयी.

फूल नही जी वो मासूम एक कली थी,
इंसानों के जंगल में जो निर्वस्त्र पड़ी थी.

आबरू लूटि, तनफ़्फ़ुस रुकी, शर्मनाक वो घड़ी थी,
दरिंदे पंछी हो लिए, कटघरे में फिर वो खड़ी थी.
मानवता फिर शर्मसार हुई है.
(check caption)  वारदात कुछ यूँ रूह को झकझोर गयी,
शैतान के भी ग़ुरूर को तोड़ गयी.

फूल नही जी वो मासूम एक कली थी,
इंसानों के जंगल में जो निर्वस्त्र पड़ी थी.

आबरू लूटि, तनफ़्फ़ुस रुकी, शर्मनाक वो घड़ी थी,
दरिंदे पंछी हो लिए, कटघरे में फिर वो खड़ी थी.
nojotouser1472989357

शुभी

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