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टूटी कलम से" मुझे मेरी तन्हाइयो में उदास ही रहने

टूटी कलम से" 
मुझे मेरी तन्हाइयो में उदास ही रहने दो
मैं खुश हूं, मुझे बर्बाद ही रहने दो ।
न गिला न शिकवा है  किसी से 
दो पल की ज़िन्दगी है, मुस्कुराकर जीने दो।
जो मुझे अहंकारी मुँह-फट कहते है  कहने दो,
ज़माना है इसे अपने खयालो में रहने दो ।
गर चिंता करता मैं अपने अखंडपन की तो कुछ और होता,
मैं "नाज़िम" हूँ मुझे मेरे आस्तित्व में रहने दो।
टूटी कलम के सहारे अक्सर अब चला करता हूं किताबो पर,
अच्छा है .......,।
थोड़ा खुद से बात कर लिया करता हु , किताबो पर
इसी बहाने  खुद की उदासियों में खोया रहता हूं 
"टूटी कलम से" जज्बातों को अक्सर बयां करता हु ।। #टूटी कलम से....
#आस्तित्व
#khnazim
टूटी कलम से" 
मुझे मेरी तन्हाइयो में उदास ही रहने दो
मैं खुश हूं, मुझे बर्बाद ही रहने दो ।
न गिला न शिकवा है  किसी से 
दो पल की ज़िन्दगी है, मुस्कुराकर जीने दो।
जो मुझे अहंकारी मुँह-फट कहते है  कहने दो,
ज़माना है इसे अपने खयालो में रहने दो ।
गर चिंता करता मैं अपने अखंडपन की तो कुछ और होता,
मैं "नाज़िम" हूँ मुझे मेरे आस्तित्व में रहने दो।
टूटी कलम के सहारे अक्सर अब चला करता हूं किताबो पर,
अच्छा है .......,।
थोड़ा खुद से बात कर लिया करता हु , किताबो पर
इसी बहाने  खुद की उदासियों में खोया रहता हूं 
"टूटी कलम से" जज्बातों को अक्सर बयां करता हु ।। #टूटी कलम से....
#आस्तित्व
#khnazim