मैंने कभी मृत्यु के बारे में नहीं सोचा पर कभी-कभी जरूर सोचता हूं कि जिए जाने वाले क्षणों की यह जो अंतग्रंथित श्रृंखला है इसका कहीं न कहीं तो अंत होगा ही और जब होगा तब कुछ खास नहीं होगा मैं तो स्वर्ण पराग सा उसी तरह महकता रहूंगा और फिर सब शांत हो जाएगा... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र