मनव्यापी नींव तक है अंदरुनी जहर। खौफ जैसे तू है IGNP नहर। ख़त्म होता नजर आया सपनों का शहर। खौंफ न करता पलभर महर। खौफनाक होता खौफ का कहर। ©SONU SUTHAR खौफ