औराक़ ए परेशाँ - बिखरे हुए पन्ने मैं ज़िंदगी के औराक़-ए-परेशाँ हर पल समेटता रहा , कभी खुद को तो कभी उनको देखता रहा। ©Dr Manju Juneja #मैं #ओराक़- ए- परेशां #समेटता #रहा #कभी #खुदको #उनको #देखतरहा #उर्दूशायरी #NojotoUrduShayari