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मैं एक मजदूर हूँ। रोटी कमाने खातिर, घर से अपने दूर

मैं एक मजदूर हूँ।
रोटी कमाने खातिर,
घर से अपने दूर हूँ।
नसीब नहीं सुख की नींदे,
हालत से मजबूर हूँ।
चाहे कोई काम कराना,
हर काम में मशहूर हूँ।
दिन-रात की काम से,
थकान से मैं चूर हूँ।
मिटती नहीं मेरी दुश्वारियाँ,
मैं एक ऐसा नासूर हूँ।
मालिक की नजरों में हरदम,
शक से भरपूर हूँ।
गलती नहीं मेरी कोई,
कौन बताए बेकसूर हूँ।
मैं एक मजदूर हूँ। #मजदूर_दिवस  #विश्वासी 
फ़ोटो साभार:इंटरनेट
मैं एक मजदूर हूँ।
रोटी कमाने खातिर,
घर से अपने दूर हूँ।
नसीब नहीं सुख की नींदे,
हालत से मजबूर हूँ।
चाहे कोई काम कराना,
हर काम में मशहूर हूँ।
दिन-रात की काम से,
थकान से मैं चूर हूँ।
मिटती नहीं मेरी दुश्वारियाँ,
मैं एक ऐसा नासूर हूँ।
मालिक की नजरों में हरदम,
शक से भरपूर हूँ।
गलती नहीं मेरी कोई,
कौन बताए बेकसूर हूँ।
मैं एक मजदूर हूँ। #मजदूर_दिवस  #विश्वासी 
फ़ोटो साभार:इंटरनेट