#OpenPoetry इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है कल इतनी थी – आज इतनी बढ़ गयी.. ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है… कल इतनी थीं – आज इतनी कम हो गयीं। "दुनियां के रैन बसेरे में.. पता नही कितने दिन रहना हैं, "जीत लें सबके दिलों को.. बस यही जीवन का गहना हैं।" इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है कल इतनी थी – आज इतनी बढ़ गयी.. ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है… कल इतनी थीं – आज इतनी कम हो गयीं। "दुनियां के रैन बसेरे में.. पता नही कितने दिन रहना हैं,