बहुत की चाहत, अब ख़ुदको बेज़ार करें चलो कुछ काम ज़िंदगी में, बेकार करें देख वो पंछियों का झुंड, लौट आया नाचे मोर, खरगोश, किसने बुलाया? इस दौड़ में, कितने ज़िंदा छूट गए कभी बस, खुदसे ये इजहार करें चलो कुछ काम ज़िंदगी में, बेकार करें दौड़ते दौड़ते, दौड़ने की आदत पड़ गई जंगल कटे सब, बस इमारतें बढ़ गई कितनों के घर उजाड़, चैन से सोते हो? चल इंसानियत, ज़िन्दगी से प्यार करें चलो कुछ काम ज़िंदगी में, बेकार करें रुक कर सोचना, कुछ बाते बेमतलब ही ये कैदखाने हैं, तेरे मतलबी, करतब ही देख ली इंसानियत, तूने दौड़ने की मिसाल चल कुछ धीमी अपनी रफ़्तार करें चलो कुछ काम ज़िंदगी में बेकार करें #बेकार #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #coronavirus बहुत की चाहत अब ख़ुदको बेज़ार करें चलो कुछ काम ज़िंदगी में बेकार करें देख वो पंछियों का झुंड लौट आया नाचे मोर, खरगोश किसने बुलाया