सब्सक्रिप्शन/अनलॉक प्रतियोगिता - 6 विषय :- रिश्तों का भ्रम रिश्तों का भ्रम जब टूट गया, अब कैसे हम मुस्कुराएं। कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं। सबने यहाँ हमसे किया छल, बस अपना स्वार्थ निकाला। रिश्तों की सारी मर्यादाओं को, खुद ही पार कर डाला। क्या थी लोगों की सोच और क्या-क्या उन्होंने दिखाए। कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं। रिश्तों में भी लोग यहाँ, जब मतलब ढूंढने लगते हैं। अपनी सहूलियत से वो अपनी, हसरत ढूंढने लगते हैं। भावनाओं को मेरी ठेस पहुँचा, वो आज बहुत मुस्कुराएं। कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं। सब्सक्रिप्शन/अनलॉक प्रतियोगिता - 6 विषय :- रिश्तों का भ्रम हैशटैग - #रिश्तों_का_भ्रम_rks #रचना_का_सार #rksquotes #अल्फ़ाज़_ए_साहिल #साहिल_की_सोच #मेरी_ख्वाहिश #साहिल_का_प्यार रिश्तों का भ्रम जब टूट गया, अब कैसे हम मुस्कुराएं।