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जितनी बार जाता हूं कुछ उठा लाता हूं। मै एक‌ चोर हू

जितनी बार जाता हूं कुछ उठा लाता हूं।
मै एक‌ चोर हूं कुछ ना कुछ चुरा लाता हूं।
बहुत सी उदाशी तेरे घर से मिली है मुझे।
  खामोशी से मैं सारी उदाशी उठा लाता हूं।
किसी जंगल को बाढ़ से बचाने के लिए।
तेरे चस्मो के सारे आंसू चुरा लाता हूं।
बेचैनिया,बेताबिया, इश्क और ये, वो सब।
मत पूछ तेरे लिए क्या-क्या चुरा लाता हूं।

अधूरी ग़ज़ल।

©Sandeep Tripathi गुमनाम शायर/अधूरी ग़ज़ल
#OneSeason
जितनी बार जाता हूं कुछ उठा लाता हूं।
मै एक‌ चोर हूं कुछ ना कुछ चुरा लाता हूं।
बहुत सी उदाशी तेरे घर से मिली है मुझे।
  खामोशी से मैं सारी उदाशी उठा लाता हूं।
किसी जंगल को बाढ़ से बचाने के लिए।
तेरे चस्मो के सारे आंसू चुरा लाता हूं।
बेचैनिया,बेताबिया, इश्क और ये, वो सब।
मत पूछ तेरे लिए क्या-क्या चुरा लाता हूं।

अधूरी ग़ज़ल।

©Sandeep Tripathi गुमनाम शायर/अधूरी ग़ज़ल
#OneSeason
sandeeptripathi8702

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गुमनाम शायर/अधूरी ग़ज़ल #OneSeason