ख़्वाहिश मेरी भी है मोहब्बत को पा सकूं तालाशूं न सुकूं तो इबादत को पा सकूं लिखूं जिंदगी की इबारत ऐसी रिश्ता-ए-उल्फ़त तो निभा सकूं ©Aditya Neerav #इबारत