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रात अँधियारी,तम चहुँ ओर काली घटायें, बरसे घनघोर लौ

रात अँधियारी,तम चहुँ ओर
काली घटायें, बरसे घनघोर
लौ रौशनी की,नन्हीं चितचोर
तम को करे दूर, शांत-सौम्य स्वर। लौ
रात अँधियारी,तम चहुँ ओर
काली घटायें, बरसे घनघोर
लौ रौशनी की,नन्हीं चितचोर
तम को करे दूर, शांत-सौम्य स्वर। लौ