है ये आपकी मर्जी कि करें, न आगे हाथ करें क्या ये ज़रूर है कि दोनों मुहब्बत साथ करें शोर करती हुई इस दुनिया के घाट पर कोई चाहिए जिससे ख़ामोशी में बात करें ज़िन्दा रहे किसी मोड़ पे गुंजाइश मिलने की सो कभी किसी से आख़िरी मुलाक़ात करें बिछड़ के आये थे दोनों अपने प्रेमी से सो लाज़मी है दिलों के दर्द सुहागरात करें सारे दोस्त एक ही लंच में खाया करते थे किसे फुर्सत थी कि वहाँ ज़ात पात करें.. इक उम्र के बाद एक ग़ज़ल आपकी ख़िदमत में.. #ghazal #mazhab #mohabbat #yaadein #baatein