राशते भी वोही है मंज़िल भी वोही है आप भी वोही हों और हम भी वोही है क्या बदलाव आया है जों आप भी मगरुर हैं और हम भी मगरूर हैं बात करना तों चाहते हैं पर चुप रहने को आप भी मजबूर हैं और हम भी मजबूर हैं हर एक साथ रहते थे आब हम कियू एक दूसरे से दूर हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,, सुरेन्द्र लोहोट 12/02/2022 ©surender kumar