रेत की तरह ओ मेरे हाथों से निकलता चला गया बहुत रोका बहुत टोका फिर भी ना रुका, कुछ बिखरी सी यादे कुछ सिमटी बातें दे कर चला गया, उसके इश्क़ को मुट्ठी मे पकड़ना आसान ना था, ओ हवा संग बहता चला गया, कितने घुटने टेके दिल ने फिर भी आँखों से आस्कों की तरह पिघलता चला गया. रेत सा मेरा इश्क़ बहता चला गया उस परवाने के शीतम को सहता चला गया... ©Priyanka Dwivedi #dhokha #EmotionalHindiQuote #poetinyou #alone #memories #love #qoutes #mywords #Sandland