कभी-कभी किताबों के पयाम में मिल लेना, जो ना दिखूँ दोपहरी तक शाम में मिल लेना। तुमसे मिलकर तुम्हें मिज़ाज़-ए-दिल बताना है, महफ़िल में नही इक दफ़ा आराम में मिल लेना। हिचकी भी आए और मिलने में भी लगें डर, हक़ीकत में नही इक दफ़ा ख़्याल में मिल लेना। 🎀 Challenge-327 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों अथवा 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।