आज रूठे रूठे से शब्द क्यों हैं , वही जो कागज़ से लिपट के तेरे गीत गाते थे , वही जो तुम्हारे दिल को छू कर आ जाते थे , वही जो तुम्हे हसाते और गुदगुदाते थे , पर आज वही शब्द बेजान क्यों हैं ? तुमसे ही आज अनजान क्यों हैं? क्यों मौन पड़ी है कविताई , क्यों गीत भी हो चली पराई, छन्दों से शब्दों की कैसी ये जुदाई खुद से टूटे टूटे से शब्द क्यों हैं ???? रूठे से शब्द