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आज रूठे रूठे से शब्द क्यों हैं , वही जो कागज़ से ल

आज रूठे रूठे से शब्द क्यों हैं ,
वही जो कागज़  से लिपट  के तेरे गीत गाते थे ,
वही जो तुम्हारे दिल को छू कर आ जाते थे ,
वही जो तुम्हे हसाते  और गुदगुदाते  थे ,
पर आज वही शब्द बेजान  क्यों हैं ?
तुमसे ही आज  अनजान  क्यों हैं?
क्यों मौन पड़ी है कविताई ,
क्यों गीत भी हो चली पराई,
￰छन्दों से  शब्दों की कैसी ये जुदाई 
खुद से टूटे टूटे से शब्द क्यों हैं ???? रूठे से शब्द
आज रूठे रूठे से शब्द क्यों हैं ,
वही जो कागज़  से लिपट  के तेरे गीत गाते थे ,
वही जो तुम्हारे दिल को छू कर आ जाते थे ,
वही जो तुम्हे हसाते  और गुदगुदाते  थे ,
पर आज वही शब्द बेजान  क्यों हैं ?
तुमसे ही आज  अनजान  क्यों हैं?
क्यों मौन पड़ी है कविताई ,
क्यों गीत भी हो चली पराई,
￰छन्दों से  शब्दों की कैसी ये जुदाई 
खुद से टूटे टूटे से शब्द क्यों हैं ???? रूठे से शब्द

रूठे से शब्द #कविता