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ये करुणा... दया... सहानुभूति..!!! विसर्जित कर ही आ

ये करुणा... दया... सहानुभूति..!!!
विसर्जित कर ही आना अंतिम कूच  से पहले,  अत्यंत सूक्ष्म रस तो इसमें भी छिपा है,  हां सत्य है के तरल, तनु....
आपका व्यक्तित्व  हो जाता है इसमें, किन्तु  अवलोकन स्वयं का बहुत आवश्यक है जब भाव करुणा, दया के हों सहानुभूति के हों.. ठहर के देख लेना खुद को..!!! रस मिल रहा है क्या ...पोषित तो नही हो रहा अहंकार इसमे...!!ये अंतिम गांठ है जो खुलनी बहुत जरूरी है, सिर्फ मोह ही नही....ये भी मीठे किन्तु विषैले रस से भरे फल हैं ..हालाकिं उद्देश्य परमार्थ ही है, किन्तु फिर भी। इन्हें त्यागना है....यात्रा का अंतिम पूर्णविराम..!!!!
'मनु' अहंकार
ये करुणा... दया... सहानुभूति..!!!
विसर्जित कर ही आना अंतिम कूच  से पहले,  अत्यंत सूक्ष्म रस तो इसमें भी छिपा है,  हां सत्य है के तरल, तनु....
आपका व्यक्तित्व  हो जाता है इसमें, किन्तु  अवलोकन स्वयं का बहुत आवश्यक है जब भाव करुणा, दया के हों सहानुभूति के हों.. ठहर के देख लेना खुद को..!!! रस मिल रहा है क्या ...पोषित तो नही हो रहा अहंकार इसमे...!!ये अंतिम गांठ है जो खुलनी बहुत जरूरी है, सिर्फ मोह ही नही....ये भी मीठे किन्तु विषैले रस से भरे फल हैं ..हालाकिं उद्देश्य परमार्थ ही है, किन्तु फिर भी। इन्हें त्यागना है....यात्रा का अंतिम पूर्णविराम..!!!!
'मनु' अहंकार