पिता ! तू है लफ़्ज़ों के बयान से बाहर ज़मीं से जुदा, हद-ए-आसमान से बाहर तू हर एहसास से आला,हर सोच से बेहतर तेरी हद हद से ज़्यादा,तेरा ख़याल है इस जहान से बाहर # पिता!तू पूजा से पवित्र, तू है अज़ान से बाहर