हर उलझी पहेली का जवाब है तू, देखते ही बहकादे वो शराब है तू। रातों की नींदे उड़ा रखी है जिसने, वो दिल में सजा हुआ ख्वाब है तू। जिसे मैं पढ़ता रहूँ पर मन ना भरे, उन गहरे राजों की किताब है तू । जिसके बिना जिंदगी नाकाम लगे, ऐसा मदहोश हुस्न ए शबाब है तू। जितना लिखूँ उतना बढ़ता जाता, न जाने कैसा अजब हिसाब है तू। जिंदगी लगा दी जिसे पाने के लिए, एक ऐसा नायाब सा खिताब है तू। प्रशान्त जैन ख्वाब है तू.... गजल का एक छोटा सा प्रयास