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वो विदा हुई उस घर से,जिस घर में खेला करती थी.... व

वो विदा हुई उस घर से,जिस घर में खेला करती थी....
वो चिडियाँ थी उस घर की, हर पल वो चहका करती थी।।
                             आंखो में आंसू लिए वो जा रही थी
                              कुछ अपने छूट रहे थे पीछे 
                              कुछ नया का दामन थाम रही थी ।।
                              आज एक बेटी दो परिवारों को
                              रिश्तो में बांध रही थी।।
उसके कदमों की रफ्तार धीमी हो रही थी 
मुड़ मुड़कर वह घर का आंगन देख रही थी।।
जिस आंगन में वह पली-बढ़ी 
वो आंगन आज छूट रहा था ।।
मेरी फूल सी बच्ची मुझसे दूर जा रही है 
उस आंगन का भी भी दिल टूट रहा था....।।।
                              यू तो आलम खुशी का था
                              मगर फिर भी आंखे नम थी।।
                              शायद उस पल गम ज्यादा 
                              खुशियाँ कम थी...।।
To be continue...... #vidai, #beti
वो विदा हुई उस घर से,जिस घर में खेला करती थी....
वो चिडियाँ थी उस घर की, हर पल वो चहका करती थी।।
                             आंखो में आंसू लिए वो जा रही थी
                              कुछ अपने छूट रहे थे पीछे 
                              कुछ नया का दामन थाम रही थी ।।
                              आज एक बेटी दो परिवारों को
                              रिश्तो में बांध रही थी।।
उसके कदमों की रफ्तार धीमी हो रही थी 
मुड़ मुड़कर वह घर का आंगन देख रही थी।।
जिस आंगन में वह पली-बढ़ी 
वो आंगन आज छूट रहा था ।।
मेरी फूल सी बच्ची मुझसे दूर जा रही है 
उस आंगन का भी भी दिल टूट रहा था....।।।
                              यू तो आलम खुशी का था
                              मगर फिर भी आंखे नम थी।।
                              शायद उस पल गम ज्यादा 
                              खुशियाँ कम थी...।।
To be continue...... #vidai, #beti
navishayar1705

navi shayar

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