#2YearsOfNojoto खून अपना हो या पराया हो, नस्ले आदम का खून है आखिर... जंग मशरिक में हो या मगरिब में, अमनो आलम का खून है आखिर टैंक आगे बढ़े या पीछे हटे, कोख धरती की बांझ होती है.... खेत अपने जले या औरो के, ज़िस्त फ़ाको से तिलमिलाती है ।। जीत की खुशी हो या हार का शोख, ज़िन्दगी मैय्यातो पे रोती है.. जंग तो खुद ही एक मसला है, जंग क्या मस्लो का हल देगी ।। आग और खून आज बखशेगी, भूख और अम्तेयाज़ कल देगी... इसलिए ऎ शरीफ इंसानो जंग टलती रहे तो बेहतर है ।। हम और आप सभी के घरों में शम्मा जलती रहे तो बेहतर है ।। खून अपना हो या पराया हो, नस्ले आदम का खून है आखिर... जंग मशरिक में हो या मगरिब में, अमनो आलम का खून है आखिर टैंक आगे बढ़े या पीछे हटे, कोख धरती की बांझ होती है.... खेत अपने जले या औरो के, ज़िस्त फ़ाको से तिलमिलाती है ।।