बिखरी यादें संभालूंँ कैसे ये है ज़िंदगी के ज़मापूँजी मेरे इन यादों को मन के आँगन में रहने दो जो बिखरी हैं उनको समेटने दो बिखरे यादों संग खुशी और ग़म संग आते हैं दिल में दर्द और आँखों में आंँसू दे जाते हैं कुछ यादें ऐसी आती हैं जो दिल को बर्बाद कर जाती हैं भूलना पड़ता है उनको, यादों के सहारे ज़िंदगी कहांँ कटती है उन यादों को भुलाना इतना आसान नहीं ज़माना किसी के ग़म का परवाह करता नहीं दूर हो गए तुम मुझसे कोई ग़म नहीं दूर जाकर भी मुझे भुलाना नहीं मुलाकात ना हुआ तुमसे, तेरी यादें किसी मुलाकात से कम तो नहीं यादों की हवा उनकी जब चलती है बिखर जाते हैं हम गुज़र जाता वो लम्हा दर्द और आंँसुओं की बारिश में इन बिखरी यादों के किस्से बहुत थे भरी महफ़िल में मशहूर हम बहुत थे सारा दिन गुज़र जाता ख़ुद को समेटने में कैसे मैं बताऊंँ हम अब अजनबी हैं ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।