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तुम मेरी जीवंतता की अग्रण्य प्रेरणा का सम्यक स्त्र

तुम मेरी जीवंतता की अग्रण्य प्रेरणा का सम्यक स्त्रोत बनना,
मैं कभी पराभव के समक्ष अपना साम्मुख्य नहीं करूंगा !

तुम मेरी नीरवता की निनाद को अपने शब्दों का आकार बनाना, 
मैं कभी निर्वाक की अवस्था में स्तब्ध नहीं रहूंगा !

तुम मेरी उद्विग्नता की अविक्षुब्धता का सुखसाध्य मार्ग बनना, 
मैं कभी भीति से अपनी सामीप्यता नहीं रखूंगा !

तुम मेरी कृतकार्यता की अवाप्ति का मुख्य अवलम्ब बनना, 
मैं कभी वैफल्यता से निरुत्साहता को नहीं पाऊंगा!

©Viraaj Sisodiya
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