तुम्हारी तस्वीर के पीछे एक दरकती-सी दीवार है (कविता अनुशीर्षक में) तुम्हारी तस्वीर के पीछे एक दरकती-सी दीवार है कोई उसकी बात ही नहीं करता कोई बात ही नहीं करता उन दरारों की जो पड़ी हुई हैं तुम्हारी हसीं मुस्कान के पीछे जिसे तुम भी समेट रही हो