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कोई और नही सुनता तो बस उसे सुना देती हूँ अल्फाज़ो क

कोई और नही सुनता तो बस उसे सुना देती हूँ
अल्फाज़ो को कहीं नही बस पन्नो पे उतार लेती हूँ..

ना उसमे कोई मिलावट
कोरा सा वो कागज..

जो कहती हुँ !
वो समझता है..
जो लिखती हुँ !
वो पढ़ता है..
वो कोरा कागज !
साथ मेरे रहता है..

अनछुए लम्हों का ज़िक्र!
वो बड़े गौर से सुनता है..
मेरे जस्बातों को!
बस वो ही समझता है..
वो कोरा कागज साथ मेरे रहता है। वो कागज..
वो कलम..
मेरे हमदम..
मेरे सनम..

दर्द में मरहम..
वो कागज!
वो कलम!
कोई और नही सुनता तो बस उसे सुना देती हूँ
अल्फाज़ो को कहीं नही बस पन्नो पे उतार लेती हूँ..

ना उसमे कोई मिलावट
कोरा सा वो कागज..

जो कहती हुँ !
वो समझता है..
जो लिखती हुँ !
वो पढ़ता है..
वो कोरा कागज !
साथ मेरे रहता है..

अनछुए लम्हों का ज़िक्र!
वो बड़े गौर से सुनता है..
मेरे जस्बातों को!
बस वो ही समझता है..
वो कोरा कागज साथ मेरे रहता है। वो कागज..
वो कलम..
मेरे हमदम..
मेरे सनम..

दर्द में मरहम..
वो कागज!
वो कलम!

वो कागज.. वो कलम.. मेरे हमदम.. मेरे सनम.. दर्द में मरहम.. वो कागज! वो कलम! #Poetry #kalam #kagaz