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तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा ! एक तेरे सिवाह

तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा !
एक तेरे सिवाह  कुछ और सोचने के काबिल नहीं रहा !

जाने क्यू सबको फिज़ूल लगती है अब तो हर बात मैरी,, 
पहली की तरह अब मै  काबिल ए तारीफ नहीं रहा !

शायर Rmk..... तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा !
एक तेरे सिवाह  कुछ और सोचने के काबिल नहीं रहा !

जाने क्यू सबको फिज़ूल लगती है अब तो हर बात मैरी,, 
पहली की तरह अब मै  काबिल ए तारीफ नहीं रहा !

शायर Rmk.....
तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा !
एक तेरे सिवाह  कुछ और सोचने के काबिल नहीं रहा !

जाने क्यू सबको फिज़ूल लगती है अब तो हर बात मैरी,, 
पहली की तरह अब मै  काबिल ए तारीफ नहीं रहा !

शायर Rmk..... तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा !
एक तेरे सिवाह  कुछ और सोचने के काबिल नहीं रहा !

जाने क्यू सबको फिज़ूल लगती है अब तो हर बात मैरी,, 
पहली की तरह अब मै  काबिल ए तारीफ नहीं रहा !

शायर Rmk.....

तेरी यादो से मै कभी ग़ाफ़िल नहीं रहा ! एक तेरे सिवाह कुछ और सोचने के काबिल नहीं रहा ! जाने क्यू सबको फिज़ूल लगती है अब तो हर बात मैरी,, पहली की तरह अब मै काबिल ए तारीफ नहीं रहा ! शायर Rmk.....