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उस रात घर को लौटते हुए मुझे बहुत देर हो चुका था। ठ

उस रात घर को लौटते हुए मुझे बहुत देर हो चुका था। ठंड का मौसम था। सर्द की गोद में पूरा माहोल सुनसान हो पड़ा था। इसीलिए में धीरे धीरे अपने मोटर साइकिल चलाकर घर की और बढ़ रहा था। में रोज की तरह खबर संग्रह के लिए एक गाँव चला गया था। पर उस दिन काम खत्म होते होते कुछ ज्यादा देर हो गया। रास्ते में घना जंगल है। उसके बाद सहर। जंगल की रास्ता अभी खत्म होने ही वाला था कि पीछे से कोई चलने जैसा लगने लगा। में पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था। बस रास्ते के किनारे स्थित एक कब्रिस्तान दिखाई दिया। कुछ देर बाद फिर से कोई चलने जैसा मेहसूस हुआ । और इस बार भी कोई दिखाई नहीं दिया। मैंने आवाज लगाई कौन है? पर कोई जवाब नहीं मिला। अब में तुरंत अपना मोटर साइकिल स्टार्ट किया और गाड़ी जोर से चलाते हुए घर पहुंचा। घर पहुंचते हुए मुझे रात १ बज गया था। उस आवाज को सोच सोच कर रात भर मुझे नींद नहीं आई। सुबह उठ कर रात की बातें अपने कुछ खास दोस्तों से साझा किया तो उन्होंने बताया कि वो आवाज कब्रिस्तान से ही आया होगा। हम सब के साथ भी पहले उस जगह ऐसा हो चुका है। उस जगह एक अतृप्त आत्मा भटकती रहती है और रात में उस रास्ते से गुजरने वालों को ऐसे ही डराती है । पर मुझे उनकी बातों पर यकीन नहीं किया और अपने काम में फिर से लग गया। पर आज भी मेरे मन में प्रश्न उठ रहा है वो क्या था? क्या सच में वो कोई अतृप्त आत्मा था या फिर कोई जंगली जानवर?

©Madhaba Swain
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