सती से निर्भया तक (In Caption) अग्नि चिता पर भस्म होती थी मैं, क्यों..? सामाजिक अंधकार के कारण पुरुष बिन स्त्री अस्तित्व हीन है। परन्तु क्या सत्य था ये...? तो मेरी मृत्यु शैय्या पर तुमने प्राण क्यों नहीं त्यागे...? अर्द्धांगिनी थी न मैं..? फिर मेरा बिना तुम्हारा अस्तित्व पूर्ण कैसे...?