एहसान है ज़िंदगी मुझ पर तुम्हारा हमनें हर साँस की कीमत चुकाई है ले देकर तूने है यही सिखाया नया दर्द ही पुराने की दवाई है आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रही हैं,चेहरों पर लकीरें करी उम्र ने सपनों से बेवफ़ाई है आसान नहीं है खुद को समझाना गीली लकड़ी से आग सुलगाई है मन का दरिया सूख चुका है फिर भी आखें क्यूं उफ़नाई हैं कितने मौसम बदल चुके हैं किस्मत ने भी ली अंगड़ाई है हर तरफ खुशबू बिखर रही है फिर भी डाली क्यूं मुरझाई है माना है मुश्किल साथ निभाना, फूलों ने भी कांटों संग प्रीत निभाई है... © abhishek trehan #एहसान #जिदंगी #प्रीत #manawoawaratha #yqdidi #yqbaba #yqaestheticthoughts #yqrestzone