आग की लपटों सा जल रहा हूँ माँ बाहर से खुश और अंदर

आग की लपटों सा जल रहा हूँ माँ बाहर से खुश और अंदर से मर रहा हु अनमोल तोह हु पर कोयले सा तप रहा हु......

©Vandana Bhasin
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