अनपढ़ आँखें अनपढ़ आँखें पूछती हैं, उन पढ़े-लिखे बेटे से, किस किताब में लिखा है मां को तन्हा छोड़ देना। किस पन्ने में बताया गया है, उसकी ममता का मोल घटाना, और वो आशीर्वादों से भरी झोली, जमीन पर कहीं रख आना। क्या कोई अक्षर बताएगा, उसकी रातों की नींदें छीनना, या उन हाथों की लकीरों में, उदासी का रंग भर देना? किस स्कूल में सिखाई जाती है, मां की मुस्कान को छीन लेना, और उसकी कोख में बसाया प्यार, बस शब्दों में बुन देना? पढ़ाई से तो सीखने को मिला, हर जीवन का मान रखना, पर माँ को अकेला छोड़ना, किस पाठ का है ये फलसफा? अनपढ़ आँखें पूछती हैं, कि कहां से आए ये सिलेबस, जो मां के आँचल से दूर होकर, हमें लगता है सबक पूरा है। तो एक बार बेटा पलट कर देखो, उसकी सूनी आँखों में झाँक कर, कहीं उस किताब में न लिखा हो, "माँ को अकेला छोड़ देना।” ©Writer Mamta Ambedkar #MothersDay हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं प्रेम कविता कविता कोश