वो वक्त जरूरी था कितना मैने आज पहचान लिया जब मिले पुराने लोग वही उन्हें फिर से मैने याद किया कुछ हुआ उन्हें या किया किसी ने मुझको तो कुछ ज्ञात नहीं हुआ दर्द कितना होगा आज मैने उसे पहचान लिया भाग्य था या कर्म हमारे जो उनको मुझ से छीन लिया मन करता तुझ से खफा रहूं जो मुझको तुमने अनाथ किया क्या होता गर जो उस दिन तुम अपनी नियति को बदल देते छोटा था मै उमर ही क्या थी ये सोच कर तुम पिघल लेते खातिर जो तुम मेरे ही पापा को मेरे दान में जीवन देते कर्ज चुकाने को तुम कान्हा मेरा जीवन ले लेते भाई मेरा बहुत छोटा था जब तुम उसको तो खुश कर देते ©kavi abhiraj पापा की याद