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।। संगिनी ।। अनगिनत तारें हैं जो उस आकाश में मन ज

।। संगिनी ।।

अनगिनत तारें हैं जो उस आकाश में
मन जो करे तोड़कर ,अपनी झोली में भर भी लूँ

जाने किस डर से कभी पूछ ना सके
सवाल जो है मन मे,सोचा आज कह भी लूँ

शामें गुज़रती हैं अक्सर तन्हाई में
आओ जो,खाली प्यालों में चाय भर भी लूँ

माना दामन में कांटें बहुत हैं, फिर भी
बची जगह,आगे फूलोँ के लिये रख भी लूँ

क़ैद रहा बीते वक़्त में अब तक
डगर इस राह की अब बदल भी लूँ

बढ़ चले दोनो ,अपना अपना हिस्सा लिये
उनकी ख़ुशी के ख़ातिर, बटवारा कर भी लूँ

उलझने ,हौसलों से नापी जाती हैं हर बार
संग तू जो हो तो,समुन्दर तैरकर पार कर भी लूँ

@विकास

©Vikas sharma
  #lonelynight संगिनी
vickysharma3971

Vikas sharma

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#lonelynight संगिनी #लव

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