इतनी-सी हसरत लिए चला गया , आंखों में ये मंज़र लिए चला गया पूछती रहती हैं मेरी शामें अक्सर , वो ठहरा या बिन बोले चला गया कहीं भी जाएं मगर उम्मीद न कर , जो भी आया यहां फ़िर चला गया अब सताए किसे और मनाए किसे , वो जो रूठा इस बार तो चला गया जुबां पे आरज़ू लिए फिरते रहें हम , सुना भी नहीं उसने और चला गया ____shahi इतनी-सी हसरत लिए चला गया , आंखों में ये मंज़र लिए चला गया पूछती रहती हैं मेरी शामें अक्सर , वो ठहरा या बिन बोले चला गया कहीं भी जाएं मगर उम्मीद न कर , जो भी आया यहां फ़िर चला गया