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Black अर्ज़ है.... कभी-कभी कोरे ही रह जाते हैं, ज

Black अर्ज़ है....

कभी-कभी कोरे ही रह जाते हैं, ज़िन्दगी के कुछ पन्ने कहने को, लिखने को, बहुत कुछ रहता है, मगर एहसास की स्याही ख़त्म हो जाती है, या यूँ कहें ज़िन्दगी अर्थहीन लगने लगती है रिश्तों की मिठास, उनकी नमी कहीं खो जाती है जिन जज़्बातों की डोर से हम बंधे होते हैं कभी-कभी वो अपने ही हाथों छूट जाती है और रह जाता है, उन पन्नों में तो बस, कुछ यादें, कुछ बातें, एक ख़लिश, एक विरानी, एक बेचैनी और तन्हाई...!!

©Kanchan Agrahari
  #Thinking  Anshu writer sushil dwivedi Neelam Modanwal R...  Ojha @hardik Mahajan